प्रेस विज्ञप्ति 24/12/2019
मोदीनगर
महाराजा सूरजमल जी ने 80 युद्ध लडे ओर सभी को जीत कर अजेय योद्धा रहे - बाबा परमेन्द्र आर्य
आज दिनांक 24/12/2019 को गांव रोरी मे महाराजा सूरजमल जी की याद मे उनका 257वा बलिदान दिवस आखाडा महाराजा सूरजमल द्वारा मनाया गया। सर्व प्रथम दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ आरम्भ किया गया।
महाराजा सूरजमल जी के बलिदान दिवस पर सम्मेलन व सम्मान समारोह का आयोजन किया गया सम्मेलन की अध्यक्षता राणा राम नारायण जी ने कि व सम्मेलन का संचालन बाबा परमेन्द्र आर्य ने किया।
बाबा परमेन्द्र आर्य ने कहा क्षत्रियो को महाराजा सूरजमल जी की युद्ध नीति को पढना चाहिए। महाराजा सूरजमल ने आपने जीवन मे कोई भी लडाई नही हारी थी। महाराजा सूरजमल के बचपन का नाम सुजान सिंह था। उन्हें रविमल्ल के नाम से भी जाना गया है। रवि मतलब सूर्य और मल्ल मतलब पहलवान महाराजा सूरजमल पहलवानी के बहुत शौकीन थे। इनका नारा था "गाँव गाँव अखाड़े , गाँव गाँव मल्ल"
महाराजा सूरजमल स्वयं भी पहलवानी करते थे इनके डीग के महल में आज भी अखाड़ा बना हुआ है। ये 56 वर्ष की आयु में भी इतनी तीव्र गति से युद्ध करते थे कि इन्हें देखकर 20-25 वर्ष के योद्धा भी डर जाते थे। महाराजा अपने पहलवानों के साथ रोज 2 घण्टे अखाड़े में जोर करते थे। भारत के अधिकतर राजा नाचने और गाने वालियों को ही संरक्षण देते थे। मगर महाराजा सूरजमल पहले एसे राजा थे जिन्होंने पहलवानों को संरक्षण दिया ।
उसी संरक्षण का परिणाम था उनके राज्य में उस समय घर घर पहलवान होते थे। इनका नाम रवि यानि सूरज और मल्ल से मल अर्थात् सूरजमल पड़ा। महाराजा सूरजमल जी की लम्बाई लगभग साढ़े सात फीट व वजन ढाई कुंटाल था। वे दोनों हाथों से एक साथ तलवार चलाने में माहिर थे। ये बहुत बडे कूटनीतिज्ञ थे। इनकी कूटनीति से प्रभावित होकर ही राजा बदन सिंह ने जिनके अपने 25 पुत्र थे, उनमे से सूरजमल को ही अपना उत्तराधिकारी बनाया।
विधायक डा. मंजू शिवाची जी ने बताया महाराजा सूरजमल जी सभी जातियों का सम्मान करते थे । उनके सेना मे सभी जातियों के सेनापति रहते थे।उनके राज्य मे सारी जनता सुखी से जीवन यापन करते थी। इनकी याद मे इस तरह के कार्यक्रम होते रहने चाहिए। ऐसे कार्यक्रमों से समाज मे समरसता बनती है।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्यातिथि यति नरसिहांनन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत के इतिहास मे महाराजा सूरजमल का योगदान अतुलनीय है । जिस तरह से उन्होंने निहत्थे किसानों के जत्थे को विशव की सर्व अधिक अपराजेय सेना मे परीवर्ति किया वह उनके युद्ध कोशल का आदित्य उदाहरण है। उन्ही के पद चिन्हो पर चलकर भरतपुर के राजवंश व जनता सदैव मुगलो से देश की आजादी व मानवता की रक्षा के लिए लडते रहे। एसे योद्धा का उचित सममान न किया जाना भारतीय लोकतंत्र व इतिहास के लिए शर्म की बात वह कोम व राष्ट्र नष्ट हो जाते है जो आपने योद्धाओं को समुचित सम्मान नही देते। उन्होने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से भारतीय इतिहास के निष्पक्ष पुन्ह लेखन की मांग की ताकि हमारी आने वाली पिढी आपने महानायकों से प्रेरणा लेकर देश धर्म व सवतंत्रता की रक्षा कर सके।
इस पर देश, धर्म व समाज का कार्य करने वालो और खेल व शिक्षा के क्षेत्र मे अच्छा पर्दशन करने वाले प्रतिभाशाली बच्चों को महाराजा सूरजमल जी का सम्मान प्रतीक देकर सम्मानित किया गया। सम्मान प्राप्त करने वालो मे राष्ट्रीय महिला पहलवान अंजलि चिकारा, महिला पहलवान तन्वी राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी विक्रांत चौधरी,
राष्ट्रीय बेडमिंटन खिलाड़ी रेशु तेवतिया, एथलीट आकाश आदि रहे
और 10वी की बोर्ड परीक्षा में 90% अंक प्राप्त करने वाले छात्र रजत तेवतिया, सृष्टि तेवतिया, एकमजोत सिंह आदि को भी सम्मानित किया गया।
सम्मान समारोह मे मुख्य व्यक्ति उदित राज नहरा, प्रोफेसर अजित, अनिल यादव, ममता आर्य, सुमन चौधरी,सरोज देवी, सुभाष चन्द, सतेन्द्र तोमर, नवाब सिंह अहलावत, लक्ष्मण सिंह राठी, नीरज कौशिक आदि उपस्थित रहे।